विष्णुके मन्दिरकी चार बार, शंकरके मन्दिरकी आधी बार, देवीके मन्दिरकी एक बार, सूर्यके मन्दिरकी सात बार और श्रीगणेशके मन्दिरकी तीन बार परिक्रमा करनी चाहिये ।
- नारदपुराण —
जिसके घरसे अतिथि निराश होकर लौट जाता है, वह उसे अपना पाप देकर बदलेमें उसका पुण्य लेकर चला जाता है ।
- विष्णुस्मृति ६७
शालग्रामको बेचनेवाला और खरीदनेवाला – दोनों ही नरकमें जाते हैं ।
– पद्मपुराण,वराहपुराण
व्रत के समय बार-बार जल पीने, दिनमें सोने, ताम्बूल चबाने और स्त्री-सहवास करनेसे व्रत बिगड जाता है।
जूता पहने हुए जमीनपर नहीं बैठना चाहिये।
- स्कन्दपुराण
नित्य वृद्धजनोंको प्रणाम करनेसे तथा उनकी सेवा करनेसे मनुष्यकी आयु, विद्या (बुद्धि, कीर्ति), यश और बल बढ़ते हैं।
- मनुस्मृति २।१२१, भविष्यपुराण, महाभारत
बुद्धिमान् मनुष्यको राजा, ब्राह्मण, वैध, मूर्ख, मित्र, गुरु और प्रियजनोंके साथ विवाद नहीं करना चाहिये।
- चाणक्यसुत्र ३५२
जो केवल अपने लिये ही भोजन बनाता है, जो केवल काम-सुखके लिये ही मैथुन करता है और जो केवल आजीविका प्राप्त करनेके लिये ही पढाई करता है, उसका जीवन निष्फल है।
- लघुव्याससंहिता ८१-८२
तिल, कुश और तुलसी – ये तीन पदार्थ मरणासन्न व्यक्तिकी दुर्गतिको रोककर उसे सद्गति दिलाते हैं।
- गरुडपुराण